Sunehra Podha Tenali Rama Story In Hindi
सुनहरा पौधा
प्राचीन समय में विजयनगर नाम का एक महान राज्य था। उस नगर के महाराजा का नाम कृष्णदेव राय था। महाराज के मंत्रिमंडल में एक बहुत चतुर मंत्री थे जिनका नाम तेनाली रामा था।
तेनाली रामा अपने चातुर्य का प्रयोग करके राज्य की बड़ी बड़ी समस्याओ को चुटकी बजा के हल कर देते थे, कितनी ही बार तेनाली राम ने महाराज को सही निर्णय लेने मे मदद की।
एक बार तो ऐसा हुआ कि तेनाली रामा ने अपनी बुद्धि से महाराज के फैसले को बदल दिया और एक निर्दोष को सजा पाने से रोक दिया।
एक बार महाराज कृष्ण देव कश्मीर गए, वहां पर महाराज को एक पौधा बहुत पसंद आ गया। उसके सुनहरे फूलों को देख कर महाराज अति प्रसन्न हो गए, वहां से आते वक्त महाराज उस फूल का एक पौधा अपने साथ लेकर विजय नगर के आए ।
महाराज ने अपने माली को बुलाया और कहा “इस फूल को हमारे बगीचे में ऐसी जगह लगाओ जिसे मैं सुबह उठते ही अपनी खिड़की से देख सकूं और इस फूल का विशेष रूप से ख्याल रखा जाए अगर इस फूल को कुछ भी हो गया तो मैं तुम्हें मृत्युदंड दे दूंगा।”
राज्य माली ने महाराज की बात को मानते हुए सुनहरे पौधे को बगीचे में महाराज की खिड़की के सामने लगा दिया। महाराज सुबह उठते सबसे पहले उस सुनहरे फूल को देखते और उसके बाद ही अपना कार्य करते। उसे बिना देखे तो महाराज राज्यसभा में भी नहीं जाते।
बकरी द्वारा पौधे को खाना
एक दिन सुबह जब महाराज ने उस पौधे को अपनी जगह नहीं पाया तो वह गुस्से से आगबबूला हो गए और उस माली को बुलवाया और पूछा “वह सुनहरा पौधा कहां गया।”
माली डरते हुए दरबार मे आया ओर धीरे से जवाब दिया “उस पौधे को कल शाम को मेरी बकरी खा गई।”
महाराज ने जब यह सुना तो बहुत निराश हुए, ओर बिना सोचे ही उस माली को मृत्युदंड की सजा सुनाई।
जब माली की पत्नी को यह पता लगा तो वहां न्याय की गुहार लेकर राज महल मैं पहुंची किंतु महाराज अत्यधिक क्रोध में होने के कारण उसकी एक भी ना सुनी।
तेनाली रामा की चतुराई
जब माली की पत्नी निराश होकर अपने घर को लौट रही थी तभी राज महल में एक सैनिक ने उसे तेनाली रामा से मिलने कि सलाह दी।
रोते-रोते माली की पत्नी तेनाली रामा के घर पहुंची और अपने पति के मृत्युदंड के बारे में बताया। तेनाली रामा ने उसे कहा की जो मैं कहता वही करना, तभी तुम्हारे पति की जान बच सकती हैं।
अगले दिन सुबह माली की पत्नी चौराहे पर एक बकरी को डंडे से पीट रही थी। यह वही बकरी थी जिसने वह सुनहरा पुल खाया था।
विजयनगर में पशुओं के साथ ऐसा व्यवहार क्रूरता में माना जाता था। ऐसे करते करते यह मामला महाराज के सामने जा पहुंचा।
महाराज ने जब माली की पत्नी से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि महाराज यह बकरी मेरी दोषी हैं । इस बकरी के कारण ही तो मेरा संसार उजड़ने वाला है, मेरे बचे अनाथ होने वाले है, मैं विधवा होने वाली हूं तो मैं इस बकरी के साथ ऐसा ही व्यवहार करूंगी।
महाराज बोले “मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पाया हूं, भला यह बकरी तुम्हारा घर कैसे उजाड़ सकती हैं।”
उसने बताया “महाराज! यह वही बकरी हैं, जिसने आपका सुनहरा फूल खाया है, जिसके कारण मेरे पति को मृत्यु दंड मिला है। गलती तो इस बकरी की थी लेकिन सजा मेरे पति को मिल रही है। असल में तो सजा इस बकरी को मिलनी चाहिए इसलिए मैं इस बकरी को डंडे से पीट रही हूं।”
अब महाराज को पूरी बात समझ में आ गई की गलती माली कि नहीं बल्कि जो भी हुआ वह संयोग वश हुआ। तभी महाराज ने सैनिकों को आदेश देकर माली को आजाद कर दिया।
तेनाली राम दूर खरे होकर मुस्करा रहे थे, माली की पत्नी ने तेनाली राम का धन्यवाद किया, राज्य समझ गई की यह तेनाली राम ही हैं, जिसने राज्य को एक पाप करने से बचा लिया।
महाराज कृष्ण देव राय को एक बार फिर तेनालीरामा पर गर्व महसूस हुआ, राजा ने तेनाली रामा को धन्यवाद किया ओर पुरुस्कार देकर समाननित किया।
कहानी से सीख
- बिना पूरी बात जाने किसी भी निर्णय पर नहीं पहुचना चाहिए, जैसे राजा ने पूरी बात जाने बिना ही माली को गलत सजा दे दी।
- हमे अंत तक प्रयास करते रहना चाहिए, जैसे माली की पत्नी लगातार अपने पति को बकने क लिए प्रयास करती रही।
Sunehra Podha Tenali Rama Story In Hindi