HomeHindi Storyतेनाली रामा: नली का कमाल

तेनाली रामा: नली का कमाल

Nali Ka Kamaal Tenali Rama Story in hindi

तेनाली रामा से ईर्षा

प्राचीन समय में विजयनगर नाम का एक महान राज्य था। उस नगर के महाराजा का नाम कृष्णदेव राय था।

महाराज के मंत्रिमंडल में एक बहुत चतुर मंत्री थे जिनका नाम तेनाली रामा था। महाराज को अपने मंत्री तेनाली राम पर बहुत गर्व था।

एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने मंत्रियों के साथ कुछ चर्चा कर रहे थे। चर्चा करते समय महाराज ने तेनाली रामा की चतुराई की प्रशंसा करने लगे ।

तभी मंत्रिमंडल में से एक मंत्री ने महाराज को कहा “महाराज हमारे राज दरबार में एक से बढ़कर एक बुद्धिमान और चतुर लोग हैं, पर आप हमेशा तेनाली राम को ही चतुराई दिखाने का अवसर देते हैं।

मंत्री ने कहा की अगर हमें भी आप अपने बुद्धिमता साबित करने का मौका दे तो हम अपनी बुद्धिमता को साबित कर सके किंतु…..?”

महाराज ने हैरत में पड़ते हुए पूछा “किंतु क्या मंत्री जी?”

तभी सेनापति जी ने जवाब दिया “महाराज! मैं आपको बताता हूं कि मंत्री जी के मन में क्या बात चल रही है। सभी मंत्री सोचते हैं की इस दरबार में तेनाली रामा के अलावा किसी को भी अपने बुद्धिमता साबित करने का मौका नहीं मिलता, हर बार बुद्धिमता का तेनाली रामा श्रेय जाता है ऐसे में बाकी दरबारियों की योग्यता केसे दिखाए?”

महाराज द्वारा परीक्षा लेना

महाराज कृष्ण देवराय सेनापति की बात को समझ गए कि सभी मंत्री गण तेनाली रामा की तारीफ से उसके खिलाफ हो गए हैं।  

महाराज ने मन मैं सोचा की अब सभी मंत्री गण की परीक्षा लेनी होगी, कुछ देर सोच कर

महाराज ने सभी मंत्रियों को कहा कि आप सब को अपनी बुद्धिमता साबित करने का मौका अवश्य दिया जाएगा

तेनाली रामा को इसमे भाग लेने की अनुमति नहीं होगी, यह सुनकर सभी मंत्री गण खुश हो गई की आज हम राजा की नजरों मैं अपने आप को बहूदिमान सिद्ध कर सकेंगे।

महाराज ने दरबार मे धूप बत्ती की ओर इशारा करते हुए कहा “जो भी कोई मुझे दो हाथ धुएं लाकर देगा मैं उसे तेनालीरामा से बुद्धिमान मानूंगा।”

सभी मंत्रियों में आपस में चर्चा करने लगे की यह कैसे संभव है, धुएं को कैसे मापा जाए।

सभी दरबारी अपनी बुद्धिमता को साबित करने के लिए कुछ ना कुछ प्रयास करने लगे। जब कोई दरबारी धुएं को नापने की कोशिश करता तो धुएं उनके हाथ से निकल कर हवा में उड़ जाता। सभी दरबारियों ने हार मान ली।

कुछ देर शांत रहने के पश्चात उनमें से एक दरबारी उठा और बोला हमारे हिसाब से तो धुएं को नापना असंभव है। अगर तेनाली रामा ने धुएं को नाप लेता है तो उसे हम अपने से बुद्धिमान मान लेंगे। मंत्री बोल पर यदि तेनाली रामा भी इस कार्य को नहीं कर पाए तो उसे भी हमारे जैसा ही मानना होगा।”

तेनाली रामा का प्रयास

महाराज मंत्री की बात सुनकर मुस्कुराए और तेनाली रामा की तरफ देखते हुए कहा “क्या तुम इस कार्य को करने के लिए तैयार हो”

तेनाली रामा ने स्वीकृति में सिर हिलाया, ओर कहा की महाराज मैं आपका सेवक हूँ, मैं अवश्य ही आपकी आज्ञा का पालन करूंगा,

तेनालीरामा ने एक सेवक को बुलाया और उसके कान में कुछ कहा। सेवक तेनाली रामा की बात सुनकर दरबार से बाहर गया और एक लंबी कांच की नली लेकर आया। पूरे दरबार में चुप्पी छा गई और सभी यह जानने को आतुर थे कि तेनाली रामा किस प्रकार धुएं को नापेगा।

तेनाली रामा ने उसे सेवक से शीशे की नली ली और उस नली को धूपबत्ती से निकलने वाले धुएं पर लगा दी। कुछ ही देर मैं नली पूरी धुएं से भर गई। जैसे ही नाली पूरी धुएं से भर गई तो तेनाली रामा ने जाट से नली का मुंह कपड़े से बंद किया और उसे महाराज की ओर करते हुए कहा “महाराज! ये लीजिए आपका दो हाथ धुआं।”

महाराज ने इसे मंत्रियों के सामने करते ही सभी मंत्रियों के सर शर्म से झुक गए और महाराज बोले “अब तो आप लोग समझ गए होंगे कि प्रत्यक्ष को कभी भी प्रमाण की आवशकता नहीं होती, महाराज बोले, तेनाली रामा सच मे बहोत ही चतुर हैं, उनकी चतुराई की बराबरी करना संभव नहीं है।”

कहानी से सीख :

हमें दूसरों से ईर्षा नहीं करनी चाहिए , दूसरों की बुद्धिमता का सम्मान करना चाहिए।

Nali Ka Kamaal Tenali Rama Story in hindi

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