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लकड़हारा और सोने की कुल्हाड़ी

the honest woodcutter and the golden axe story in hindi

लकड़हारा और कुल्हाड़ी

सालों पहले एक नगर में एक लकड़हारा रहता था। वो रोज जंगल लकड़ी काटने के लिए जाता और उन्हें बेचकर जो कुछ पैसे मिलते उससे अपने तथा अपने के लिए खाना खरीद लेता था। सालों से वो पूरी मेहनत और लगन से यही काम कर रहा था, उसका पूरा परिवार बहुत खुश था।

एक दिन वह नदी की किनारे पेड़ की लकड़ी काट रहा था, काटते-काटते उस लकड़हारे की कुल्हाड़ी नदी में गिर गई।

लकड़हारा तेजी से पेड़ से उतरा ओर अपनी कुल्हाड़ी ढूंढने लगा, जब उसे उसकी कुल्हाड़ी पेड़ के आस पास नहीं मिली तो वो समझ गया, की कुल्हाड़ी नदी में ही गई हैं।

लकड़हारा इससे काफी दुखी हो गया। उसके पास इतने पैसे नहीं थे, को वो अभी के अभी नई कुल्हाड़ी खरीद ले।

निराश लकड़हारा नदी के किनारे बैठे-बैठे रोने लगा। आज उसके बच्चों को भूके सोना होगा। लकड़हारे मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा।

नदी के देवता का प्रकट होना

उसके रोने की आवाज सुनकर वहां नदी के देवता प्रकट हुए।

उन्होंने लकड़हारे से पूछा, ‘बेटा! तुम इतना क्यों रो रहे हो। कुछ खो दिया है क्या तुमने इस नदी में?

नदी के देवता के सवाल सुनते ही लकड़हारे ने उन्हें अपनी कुल्हाड़ी गिरने की कहानी सुना दी। नदी के देवता ने पूरी बात सुनी, और वो भी कुल्हाड़ी ढूंढने लगे।

कुछ देर बाद नदी के देवता नदी एक कुल्हाड़ी लेकर आए। यह सोने की कुल्हाड़ी थी। लकड़हारे ने ईमानदारी से कहा, ‘यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैं”।

नदी के देवता एक बार फिर नदी में कुल्हाड़ी ढूंढने चले गए। थोड़ी देर में नदी के देवता नदी से बाहर निकले। इस बार उनके हाथों में चांदी की कुल्हाड़ी थी। लकड़हारे ने एक बार फिर ईमानदारी से कहा, “यह भी मेरी नहीं हैं”।

देवता एक बार फिर पानी में गए, इस बार देवता के हाथ में, लकड़हारे की लोहे की कुल्हाड़ी थी, लकड़हारा के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान या गई, उसने अपनी कुल्हाड़ी पहचान ली।

लकड़हारे की ईमानदारी को देखकर नदी के देवता को काफी अच्छा लगा। देवता जानते थे। की लकड़हारा एक बहुत गरीब इंसान हैं, तो भी उसने झूठ नहीं बोला।

ईमानदार लकड़हारा

नदी के देवता ने लकड़हारे से कहा कि तुम्हारी जगह कोई और होता, तो सोने की कुल्हाड़ी झट से ले लेता, लेकिन तुमने ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया।

तुम्हारी ईमानदारी से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हें उपहार में सोने और चांदी दोनों की ही कुल्हाड़ी देना चाहता हूं। यह मेरी तरफ से उपहार हैं।

कहानी से सीख

ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है, ईमानदारी व्यक्ति का हमेशा सम्मान होता हैं।

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