HomeHindi Storyपंचतंत्र: शिकार का ऐलान

पंचतंत्र: शिकार का ऐलान

Shikar Ka Elaan panchtantra Story In Hindi

शेर ओर उसके चापलूस मित्र

एक घने से जंगल में बहुत से जानवर रहा करते थे। सबसे ताकतवर शेर जंगल का राजा था। शेर की सेवा में हर समय एक लोमड़ी, भेड़िया, चीता और चील रहते थे।

लोमड़ी को शेर ने अपनी सेक्रेटरी, चीता को अंगरक्षक, भेड़िये को अपना गृहमंत्री बना रखा था। चील का काम था, पूरे दिन जंगल में इधर उधर घूमना ओर खबरे शेर तक पहुचाना।

जंगल के बाकी जानवर शेर के इन सहयोगी को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। दूसरे जानवर इन्हें चापलूस मंडली कहते थे। सबको पता था कि यह चारों आलसी हैं, शेर के चापलूसी करके अपना काम चलाते हैं।

शेर जो भी शिकार करता, खुद भी खाता, ओर अपने चारों खास पद में बैठे जानवरों को बाकी का हिस्सा दे देता था। इसी तरह लोमड़ी, भेड़िया, चीता और चील की जिंदगी बड़े ही आराम से कट रही थी।

ऊंट ओर शेर की दोस्ती

एक दिन खबरी चील ने खबर दी की काफी देर से सड़क के पास में ही एक ऊंट बैठा हुआ है।

भेड़िया ने कहाँ, “जरूर अपने काफिले वालों से बिछड़ गया होगा।“

चीते ने इस सवाल को सुनते ही कहा कि चाहे जो भी हो हम उसका शिकार करवा देते हैं शेर से। उसके बाद कई दिनों तक आराम से उसे खाएंगे। वैसे भी जंगल में ऊंट मिलता ही कहा हैं।

लोमड़ी शेर के पास पहुंची और बड़े ही प्यार से बोली, ‘महाराज! हमारा दूत खबर लेकर आया है कि एक ऊंट हमारे इलाके में आकर सड़क के किनारे में बैठा हुआ है।’

लोमड़ी की बात सुनकर शेर उस जगह पर पहुंच गया, जहां ऊंट बैठा हुआ था। शेर ने देखा कि वो ऊंट काफी कमजोर है, ठीक से चल भी नहीं पा रहा।

उसकी ऐसी हालत शेर से देखी नहीं गई। उसने ऊंट ने पूछा कि दोस्त, तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गई?

कराहते हुए ऊंट ने जवाब दिया, ‘सारी उम्र मुझसे एक व्यापारी ने माल ढुलाया। अब मैं बीमार हो गया, तो उसने मुझे अकेले मरने के लिए छोड़ दिया। उसने सोचा कि मैं उसके किसी काम का नहीं रहा।“

अब आप ही मेरा शिकार कर दीजिए ताकि मुझे इस दर्द से मुक्ति मिल जाए।’

इन सब बातों को सुनकर शेर काफी दुखी हुआ। उसने ऊंट से कहा कि अब तुम इसी जंगल में रहोगे हमारे साथ। मैं एलान कर देता हूं कि तुम्हारा शिकार कोई जानवर नहीं करेगा।

शेर की इस दयालुता को देखकर चारों चापलुस जानवर दंग रह गए। भेड़िये ने कहा कि कोई नहीं, बाद में इसे किसी तरह से मरवा देंगे। इसे तो हम ही खायेंगे। अभी जंगल के राजा का आदेश मान लेते हैं।

ऊंट अब उसी जंगल में आराम से रह रहा था। अच्छे से हरी घास खाते-खाते ऊंट एक दिन बिल्कुल स्वस्थ हो गया। वो हमेशा शेर के प्रति आदर भाव रखता था और शेर के दिल में भी उसके लिए दया और प्रेम की भावना थी।

चारों खास पदाधिकारी जानवरों को ऊंट अपनी पीठ पर बैठाकर चलता। तो भी, वह चारों ऊंट के कभी दोस्त नहीं बने।

एक दिन शेर को रास्ते में एक हाथी मिला, शेर ने सोच आज क्यों न इसी का शिकार किया जाए। लेकिन वो हाथी पागल था। उसने शेर को बुरी तरह से पटक दिया। शेर किसी तरह वह से बच कर निकला, लेकिन उसे काफी चोट लग लई।

चोट काफी थी, अब शेर शिकार पर नहीं जा पाता था। उसके आलसी सेवक भी भूखे थे।

ऊंट को मरने की योजना

शेर के आलसी सेवकों का ध्यान हट्टे-कट्टे हो चुके ऊंट पर गया। सबने मिलकर एक तरकीब सोची और राजा के पास चले गए।

सबसे पहले भेड़िए ने कहा कि महाराज आप कितने दिनों तक भूखे रहेंगे। मेरा शिकार करके मुझे खा लीजिए आपकी भूख मर जाएगी।

फिर चील कहने लगी कि राजा साहब! भेड़िए का मांस खाने लायक नहीं होता है। आप मुझे खा लीजिए।

चील को पीछे धकेलते हुए लोमड़ी बोली, ‘तुम्हारा मांस इनके दांतों में ही लगकर रह जाएगा। आप इसे छोड़िए मुझे खा लीजिए।

फिर चीता  बोला कि आपकी भूख सिर्फ मेरा मांस खाने से मिटेगी।

असल में तो ये सब उन चापलूस जानवरों का नाटक था, जिसे ऊंट नहीं समझ पाया।

अब ऊंट ने भी शेर से कहा, “मेरी जिंदगी तो आपकी ही दी हुई है। आप इस तरह से भूखे क्यों रहेंगे। आप मुझे मारकर खा लीजिए।“

चारों चापलूस जानवरों को इसी बात का इंतजार था। उन्होंने एकदम कहा कि ठीक है महाराज आप ऊंट सही कह रहा हैं। इसके शरीर में मांस भी काफी ज्यादा है। अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, तो इसका शिकार हम कर देते हैं।

इससे पहले शेर कुछ कहता, चीते और भेड़िये ने मिलकर एक साथ ऊंट पर हमला कर दिया। कुछ ही देर में ऊंट की मौत हो गई। शेर को बहुत दुख हुआ, पर उसे अभी भी समझ नहीं आया था की यह सब उसके ही आलसी मित्रों की साजिश थी।

कहानी से सीख – 

अपने आसपास चापलूस ओर स्वार्थी लोगों को नहीं रखना चाहिए। वो अपने फायदे की लिए कुछ भी कर सकते हैं।

Shikar Ka Elaan panchtantra Story In Hindi

Hindi Bhajan

Chalisa

Aarti

Wikipedia on Hinduism

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments