har taraf har jagah lyrics
हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है,
हा.. उसी का रूप…
हा उसी का रूप
रौशनी का कोई दरिया तो है,
हा कही पे ज़रूर..
रौशनी का कोई दरिया तो है
हा कही पे ज़रूर
ये आसमान, ये ज़मी, चांद और सूरज
क्या बना सका है कभी कोई भी कुदरत..
कोई तो है जिसके आगे है आदमी मजबूर..
हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है
हा.. उसी का रूप
इंसान जब कोई है राह से भटका
इसने दिखा दिया, उसको सही रास्ता..
कोई तो है जो करता है मुश्किल हमारी दूर..
हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है
हा.. उसी का रूप
रौशनी का कोई दरिया तो है
हा कही पे जरूर |
har taraf har jagah lyrics